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मोक्षशास्त्र (२) स्कंध दो परमाणुओंसे लेकर अनन्त परमाणुओंका होता है, इसका कारण ३३ वें सूत्र में दिया गया है ( बताया गया है )
(३) शंका-जब कि लोकाकाशके असंख्यात ही प्रदेश हैं तो उसमें अनंत प्रदेशवाला पुद्गल द्रव्य तथा दूसरे द्रव्य कैसे रह सकते है ?
समाधान-पुद्गल द्रव्यमें दो तरहका परिणमन होता है, एक सूक्ष्म और दूसरा स्थूल । जब उसका सूक्ष्म परिणमन होता है तब लोकाकाशके एक प्रदेशमें भी अनन्त प्रदेशवाला पुद्गल स्कंध रह सकता है । और फिर सब द्रव्योंमें एक दूसरेको अवगाहन देनेकी शक्ति है, इसलिये अल्पक्षेत्र में ही समस्त द्रव्योंके रहने में कोई बाधा उपस्थित नही होती । अाकाशमें सब द्रव्योंको एक साथ स्थान देने की सामर्थ्य है, इसलिये एक प्रदेशमें अनंतानन्त परमाणु रह सकते हैं, जैसे एक कमरेमें एक दीपकका प्रकाश रह सकता है और उसी कमरेमें उतने ही विस्तारमें पचास दीपकोंका प्रकाश रह सकता है ।
अब अणुको एक प्रदेशी बतलाते हैं ।
नाणोः ॥ ११ ॥ अर्थ-[ अणोः ] पुद्गल परमाणुके [ न ] दो इत्यादि प्रदेश नहीं हैं अर्थात् एक प्रदेशी है।
टीका
१. अणु एक द्रव्य है, उसके एक ही प्रदेश है, क्योंकि परमाणुओं का खंड नहीं होता।
२. द्रव्यों के अनेकांत स्वरूपका वर्णन (१) द्रव्य मूर्तिक और अमूर्तिक दो प्रकारके हैं। (२) अमूर्तिक द्रव्य चेतन और जड़के भेदसे दो प्रकारके हैं। (३) मूर्तिक द्रव्य दो तरहके हैं, एक अणु और दूसरा स्कंध ।