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मोक्षशास्त्र
(५) २ गज
१ धनुष (Bow) (६) २००० धनुष
१ कोष (७) ४ कोस
१ योजन जहाँ जो अंगुल लागू पड़ता हो वहाँ उस प्रमाण (-नाप) समझना चाहिये।
नोट-१ प्रमाणभंगुल उत्सेधांगुलसे ५०० गुणा है, उससे द्वीप, समुद्र, पर्वत, द्वीप समुद्रकी वेदी विमान नरकोंका प्रस्तार इत्यादि अकृत्रिम वस्तुओं की लम्बाई चौड़ाई नापी जाती है।
२. उत्सेध अंगुलसे देव-मनुष्य-तिर्यंच और नारकियोंका शरीर तथा अकृत्रिम जिन प्रतिमाओंके देहका नाप किया जाता है। देवोंके नगर तथा मंदिर भी इस ही नापसे नापे जाते हैं।
३. जिस कालमें जैसा मनुष्य हो उस कालमें उसका अंगुल आत्मांगुल कहलाता है। पल्यके अर्धच्छेदका असंख्यातमें भागप्रमाण धनांगुल मांडकर गुणा करनेसे एक जगतश्रेणी होती है। जगतश्रेणी- ७ राजू लोककी लम्बाई जो उसके अंतमें नीचे है
वह । जगतप्रतर-७ राजु ७ राजु-४६ राजुक्षेत्र उस लोकके नीचे
भागका क्षेत्रफल ( लम्बाई चौड़ाई ) है। जगतघन (लोक )७३ राजु अर्थात् ७ राजु ७ राजु४७ राजु
=३४३ राजु यह सम्पूर्णलोकका नाप
(लम्बाई चौड़ाई मोटाई ) है ॥ ३९ ॥ मध्यलोकके वर्णनका संक्षिप्त अवलोकन
जम्बूद्वीप
(१) मध्यलोकके अत्यन्त वीचमें एक लाख 2 योजन चौड़ा, गोल * एक योजन-दो हजार कोस