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अध्याय ३ सूत्र ३९
३३५ भोगभूमियोंको छोड़कर इन सब की जघन्य आयु एक अंतर्मुहूर्तकी है॥३६ ।
क्षेत्रके नापका कोष्टक
(१) अनंत पुद्गल अनन्त पुद्गल-१ उत्संज्ञासंज्ञा, (२) ८ उत्संज्ञासंज्ञा
१ संज्ञासंज्ञा, (३) ८ संज्ञासंज्ञा
१ त्रटरेणु, (४) ८ वटरेणु
१ त्रसरेणु, (५) ८ त्रसरेणु
१ रथरेणु, (६) ८ रथरेणु
१ उत्तम भोगभूमियांके बालका अग्नभाग, (७) ८ वैसे ( बालके ) अग्रभाग= १ मध्यम भोगभूमियाँके बालका
अग्नभाग, (८) ८ वैसे (बालके ) अग्रभाग= १ जघन्य भोगभूमियांके बालका
अग्रभाग, (8) ८ वैसे (बालके ) अग्नभाग= १ कर्मभूमियाके वालका अग्रभाग, (१०) ८ वैसे (बालके ) अग्रभाग: १ लीख, (११) ८ लीख-3
१ जू (यूक ) सरसों, (१२) ८ यूक
१ यव ( जवके बीजका व्यास ) (१३ ) ८ यव
१ उत्सेध अंगुल ( छोटी अंगुलीकी चौड़ाई ) (१४) ५०० उल्सेघ अंगुल= १ प्रमाणअंगुल अर्थात् अवसर्पिणीके प्रथम
चक्रवर्तीकी अंगुलीकी चौड़ाई,
(१) ६ अंगुल (२) २ पाद ( १२ अंगुल ) ( ३ ) २ बिलस्त (४) २ हाथ
१ पाद १ विलस्त १ हाथ १ गज ( ईषु)