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मोक्षशास्त्र अंतमें त्रस पर्यायका काल (-दो हजार सागरोपम ) पूरा करके एकेंद्रियत्व पावेगा। वहां अधिकसे अधिक काल ( उत्कृष्ट रूपसे असंख्यात पुद्गलपरावर्तन काल ) तक रहकर एकेन्द्रियपर्याय ( शरीर ) धारण करेगा ॥ ३८ ॥
तिर्यंचों की आयुस्थिति तिर्यग्योनिजानां च ॥ ३४ ॥ अर्थ-तियंचोंकी आयु की उत्कृष्ट तथा जघन्य स्थिति उतनी ही ( मनुष्यों जितनी ) है।
टीका तिर्यंचोंकी आयुके उपविभाग निम्नप्रकार हैं:जीवकी जाति
उत्कृष्ट आयु (१) पृथ्वीकाय
२२००० वर्ष (२) वनस्पतिकाय
१०००० वर्ष (३) अपकाय
७००० वर्ष (४) वायुकाय
३००० वर्ष (५) अग्निकाय
३ दिवस (६) दो इन्द्रिय
१२ वर्ष (७) तीन इन्द्रिय
४६ दिवस (८) नुरिन्द्रिय
६ मास (C) नेन्द्रिय १. गर्मभूमि पशु असंशी पंचेन्द्रिग माली यादि
१ फरोटपून गर्ग २. परिमान जानि म
सांग गर्ष
४२००० यम ४. पी
७२००० पर 2. भागमणि पोरा प्राणी