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मोक्षशास्त्र
शेषास्त्वपरगाः॥२२॥ अर्थ-बाकी रही सात नदियाँ पश्चिमकी ओर जाती हैं ( और उस तरफके समुद्रमें मिलती हैं। ) ॥ २२ ।।
इन चौदह महा नदियों की सहायक नदियाँ चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता गंगासिन्ध्वादयो नद्यः॥२३॥
अर्थ-गंगा-सिन्तु आदि नदियोंके युगल चौदह हजार सहायक नदियोंसे घिरे हुए हैं।
टीका सहायक नदियोंकी संख्याका क्रम भी विदेह क्षेत्रतक आगेके युगलोंमें पहिले पहिले युगलोंसे दूना २ है, और उत्तरके तीन क्षेत्रोंमें दक्षिण के तीन क्षेत्रोंके समान है। नदी युगल
सहायक नदियोंकी संख्या गंगा-सिंधु
१४ हजार रोहित रोहितास्या
२८ हजार हरित-हरिकान्ता
५६ हजार सीता-सीतोदा
१ लाख १२ हजार नारी-नरकान्ता स्वर्णकला-रूप्यकला
२८ हजार रक्ता-रक्तोदा
१४ हजार भरतक्षेत्रका विस्तार भरतः षड्विशतिपंचयोजनशतविस्तारः षट् चैकोनविंशतिभागा योजनस्य ॥२४॥