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अध्याय ३ सूत्र १६-२०-२१ अर्थ--एक 'पल्योपम आयुवाली और सामानिक तथा पारिपद् जातिके देवों सहित श्री, ह्री, धृति, कीति, बुद्धि और लक्ष्मी नामकी देवियाँ क्रमसे उन सरोवरोके कमलो पर निवास करती हैं ।
टीका ऊपर कहे हुए कमलोंकी कणिकाके मध्यभागमे एक कोस लम्बे, आघा कोस चौड़े और एक कोससे कुछ कम ऊंचे सफेद रंगके भवन हैं उसमें वे देवियाँ रहती है और उन तालावोंमे जो अन्य परिवार कमल हैं उनके ऊपर सामानिक तथा पारिषद देव रहते हैं ॥ १६ ॥
चौदह महा नदियोंके नाम गंगासिंधुरोहिद्रोहितास्याहरिद्धरिकान्तासीतासीतोदा नारीनरकांतासुवर्णरूप्यकूलारक्तारक्तोदाः
सरितस्तन्मध्यगाः ॥ २० ॥ अर्थ-( भरतमे ) गगा, सिन्धु, ( हैमवतमे ) रोहित, रोहितास्या, ( हरिक्षेत्रमे ) हरित्, हरिकान्ता, ( विदेहमे ) सीता, नोनोस, ( रम्यक्मे ) नारी, नरकान्ता, (हैरण्यवत्मे) स्वर्णकूला, रूप्यकुला और (ऐरावतमे ) रक्ता-रक्तोदा इस प्रकार ऊपर कहे हुए सात क्षेत्रोम नोह नदियां बीचमें वहती हैं।
टीका पहिले पद्म सरोवरमेसे पहिली तीन, ? पुडरीक नामना गरोवरसे अतिम तीन तथा वाकीके सरोवरोमेसे दो दो नदियां निकलती है।।२०।।
____ नदियों के वहनेका क्रमद्वयोद्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः ॥ २१ ॥
अर्थ-(ये चौदह नदियां दोके समूहने लेना नाहिले) दोके समूहमेसे पहिलो नदी पूर्वको घोर बनी है । और अगर समुद्रमे मिलती है । ) ॥२१॥
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