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________________ ३१२ मोक्षशास्त्र महापद्मादि सरोवरों तथा उनमें रहनेवाले कमलोंका प्रमाण तद्विगुणद्विगुणा हृदा पुष्कराणि च ॥ १८॥ ___ अर्थ-पागेके सरोवर तथा कमल पहिलेके सरोवर तथा कमलों से क्रमसे दूने २ विस्तारवाले है । टीका यह दूना २ क्रम तिगिंछनामके तीसरे सरोवर तक है, बादमें उसके आगेके तीन सरोवर तथा उनके तीन कमल दक्षिणके सरोवर और कमलोके समान विस्तारवाले हैं ॥ १८ ॥ हृदोंका विस्तार आदि हृद नाम स्थान लम्बाई | चौड़ाई | गहराई | योजन योजना योजन कमल योजन धृति पद्म । हिमवन् । १००० महापद्म महाहिमवन २००० तिगिन्छ । निषध ४००० ४ केशरी (केशरिन)/ नील ४००० ५ महापुण्डरीक रुक्मिन् १००० ६ पुण्डरीक शिखरिन् | १००० ५०० २००० २००० २ बुद्धि १ लक्ष्मी छह कमलों में रहनेवाली छह देवियाँ तन्निवासिन्यो देव्यः श्रीहीधृतिकीर्तिबुद्धिलक्ष्म्यः पल्योपमस्थितयः ससामानिकपरिषत्काः ॥ १६ ॥
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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