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मोक्षशास्त्र
[ छह द्रव्योंके अनुभाग तथा ..... घटोत्यादनरूप अनुभागको भी जानते हैं । ]
छह द्रव्योंकी शक्तिका नाम अनुभाग है वह अनुभाग छह प्रकारका 'है - जीवानुभाग, पुद्गलानुभाग, धर्मास्तिकायानुभाग, श्रधर्मास्तिकायानु'भाग, आकाशास्तिकायानुभाग, और कालद्रव्यानुभाग । इनमें से समस्त द्रव्यों का जानना जीवानुभाग है । ज्वर, कुष्ठ और क्षयादिका विनाश करना और उनका उत्पन्न कराना इसका नाम पुद्गलानुभाग है । योनि प्राभृामे कहे गए मंत्र-तंत्ररूप शक्तियोंका नाम पुद्गलानुभाग है, ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिए । जीव और पुद्गलोंके गमन और आगमनमें हेतु होना धर्मास्तिकायानुभाग है । उन्ही के अवस्थानमे हेतु होना श्रधर्मास्तिकायानुभाग है । जीवादि द्रव्यों का आधार होना आकाशास्तिकायानुभाग है । अन्य द्रव्यों के क्रम और अक्रमसेx परिणमनमे हेतु होना कालद्रव्यानुभाग है । इसी प्रकार द्विसंयोगादि रूपसे अनुभागका कथन करना चाहिए। जैसे - मृत्तिकापिण्ड, दण्ड, चक्र, चीवर, जल और कुम्हार आदिका घटोत्पादनरूप अनुभाग | इस अनुभागको भी जानते हैं ।
[ तर्क, कला, मन, मानसिक ज्ञान और मनसे चिन्तित पदार्थों को भी जानते हैं । ]
तर्क हेतु और ज्ञापक, ये एकार्थवाची शब्द हैं । इसे भी जानते हैं। चीत्रकर्म और पत्र -छेदन आदिका नाम कला है । कलाको भी वे जानते हैं । मनोवरणासे बने हुये हृदय-कमलका नाम मन है, अथवा मनसे उत्पन्न हुए ज्ञानको मन कहते हैं । मनसे चिन्तित पदार्थो का नाम मानसिक है । उन्हे भी जानते हैं ।
[ भुक्त, कृत, प्रतिसेवित, आदिकर्म, अरहःकर्म, सब लोकों, सब जीवों और सब भावोंको सम्यक् प्रकारसे युगपत् जानते हैं ।]
राज्य और महाव्रतादिका परिपालन करनेका नाम मुक्ति है । उस भुक्तको जानते हैं । जो कुछ तीनों ही कालोमें अन्यके द्वारा निष्पन्न होता x एक साथ अनन्त द्रव्यके 'अनन्त गुणोंके परिणमनको यहाँ प्रक्रम (युगपत् ) कहा है ।