________________
२०४
मगलमन्त्र णमोकार . एक अनुचिन्तन
है कि आगे आया हुआ काल प्रेमका बरताव करता हुआ चला गया । इस मन्त्रके ऊपर दृढ़ श्रद्धान होना चाहिए। इसके प्रतापसे सभी कार्य सिद्ध होते हैं।"
इस महामन्त्र के प्रभावकी निम्न घटना पूज्य भगतजी प्यारेलालजी, वेलगछिया कलकत्ता निवासीने सुनायी है । घटना इस प्रकार है कि एक बार कलकत्ता निवासी स्व० बलदेवदासजीके पिता स्व० श्रीमान् सेठ दयाचन्दजी, भगतजी सा० तथा और भी कलकत्तेके चार-छह आदमी gataarat यात्राके लिए गये। जब यात्रा से वापस लौटने लगे तो मार्गमे रात हो गयी, जंगली रास्ता था और चोर डाकुओका भय था । अँधेरा होने से मार्ग भी नही सूझता था, कि किधर जायें और किस प्रकार स्टेशन पहुँचे। सभी लोग घबरा गये। सभी के मनमे भय और आतक व्याप्त था । मार्ग दिखाई न पडनेसे एक स्थानपर बैठ गये । भगतजी साहबने उन सबसे कहा कि अब घबरानेसे कुछ नही होगा णमोकार मन्त्रका स्मरण ही इस सकटको टाल सकता है । अत स्वय भगतजी सा० ने तथा अन्य सब लोगोने णमोकारका ध्यान किया । इस मन्त्रके आधा घण्टा तक ध्यान करनेके उपरान्त एक आदमी वहाँ आया और कहने लगा कि आप लोग मार्ग भूल गये हैं, मेरे पीछे-पीछे चले आइए, मैं आप लोगोको स्टेशन पहुंचा दूंगा । अन्यथा यह जंगल ऐसा है कि आप महीनो इसमे भटक सकते है । अत वह आदमी आगे-आगे चलने लगा और सब यात्री पीछे-पीछे । जव स्टेशनके निकट पहुंचे और स्टेशनका प्रकाश दिखलाई पडने लगा तो उस उपकारी व्यक्तिकी इसलिए तलाश की जाने लगी कि उसे कुछ पारिश्रमिक दे दिया जाये । पर यह अत्यन्त आश्चर्यको बात हुई कि उसका तलाश करनेपर भी पता नही चला। सभी लोग अचम्भित थे, आखिर वह उपकारी व्यक्ति कौन था, जो स्टेशन तक छोड़कर चला गया । अन्तमे लोगोने निश्चय किया कि 'णमोकार मन्त्र के स्मरण के प्रभावसे किसी रक्षकदेवने ही उनकी यह सहायता की। एक बात यह भी कि वह व्यक्ति
}
V