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द्वितीय संस्करण की प्रस्तावना
णमोकार मन्त्रका अचिन्त्य और अद्भुत प्रभाव है । इस मन्त्रकी साधना द्वारा सभी प्रकारकी ऋद्धि-सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं । यह मन्त्र आत्मिक शक्तिका विकास करता है । परन्तु इसकी साधनाके लिए श्रद्धा या दृढ विश्वासका होना परम आवश्यक है । आज - कलके वैज्ञानिक भी इस वातको स्वीकार करते हैं कि बिना आस्तिक्य भावके किसी लौकिक कार्यमे भी सफलता प्राप्त करना सम्भव नही है । अमेरिकन डॉक्टर होवार्ड रस्क (Howard Rusk) ने बताया है कि रोगी तवतक स्वास्थ्य लाभ नही कर सकता है, जबतक वह अपने आराध्यमे विश्वास नही करता है | आस्तिकता ही समस्त रोगोको दूर करनेवाली है । जब रोगीको चारो ओरसे निराशा घेर लेती है, उस समय आराध्य के प्रति की गयी प्रार्थना प्रकाशका कार्य करती है । प्रार्थनाका फल अचिन्त्य होता है । दृढ आत्मविश्वास एव आराध्य के प्रति की गयी प्रार्थना सभी प्रकारके मगलोको देती है । हृदयके कोनेसे सशक्त भावोमे निकली हुई अन्तरध्वनि वडेसे वडा कार्य सिद्ध करनेमें सफल होती है ।
अमेरिका के जज हेरोल्ड मेडिना ( Harold Medina ) का अभिमत है कि आत्मशक्तिका विकास तभी होता है, जब मनुष्य यह अनुभव करता है कि मानवकी शक्तिसे परे भी कोई वस्तु है । अत श्रद्धापूर्वक की गयी प्रार्थना बहुत चत्मकार उत्पन्न करती है । प्रार्थना में एक विचित्र प्रकारकी शक्ति देखी जाती है । जीवन-शोधनके लिए आराध्य के प्रति की गयी विनीत प्रार्थना बहुत फलदायक होती है ।
१. Reader's Digest, February 1960