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मगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन
डॉ० एलफेड टोरी भूतपूर्व मेडिकल डायरेक्टर नेशनल एसोसियेशन: फॉर मेण्टल होस्पिटल ऑफ अमेरिकाका अभिमत है कि सभी बीमारियां शारीरिक, मानसिक एव आध्यात्मिक क्रियामोंसे सम्बद्ध हैं, अत: जीवनमे जबतक धार्मिक प्रवृत्तिका उदय नही होगा, रोगीका स्वास्थ्य लाभ करना कठिन है । प्रार्थना उक्त प्रवृत्तिको उत्पन्न करती है । आराध्यके प्रति की गयी भक्तिमे वहुत बडा आत्मसवल है । अदृश्य वातोकी रहस्यपूर्ण शक्तिका पता लगाना मानवको अभी नहीं आता है। जितने भी मानसिक रोगी देखे जाते हैं, अन्तरतमकी किसी अज्ञात वेदनासे पीडित हैं। इस वेदनाका प्रतिकार आस्तिक्य भाव ही है। उच्च या पवित्र आत्माओकी आराधना जादूका कार्य करती है ।
णमोकार मन्त्रकी निष्काम साधनासे लौकिक और पारलौकिक सभी प्रकारके कार्य सिद्ध हो जाते हैं। पर इस सम्बन्धमें एक बात आवश्यक यह है कि जाप करनेवाला साधक, जाप करनेकी विधि, जाप करनेके स्थानकी भिन्नतासे फलमे भिन्नता हो जाती है। यदि जाप करनेवाला सदाचारी, शुद्धात्मा, सत्यवक्ता, अहिंसक एव ईमानदार है, तो उसको इस मन्त्रकी आराधनाका फल तत्काल मिलता है । जाप करनेकी विधिपर भी फलकी हीनाधिकता निर्भर करती है। जिस प्रकार अच्छी औषध भी उपयुक्त अनुपान विधिके अभावमे फलप्रद नहीं होती अथवा अल्प फल देती है, उमी प्रकार यह मन्त्र भी दृढ आस्थापूर्वक निष्काम भावसे उपयुक्त विधिसहित जाप करनेसे पूर्णफल प्रदान करता है । स्थानकी शुद्धता भी अपेक्षित है। समय और स्थान भी कार्यसिद्धिमे निमित्त हैं । कुसमय या अशुद्ध स्थानपर किया गया कार्य अभीष्ट फलदायक नही होता है। अत• इस मन्त्रका जाप मन, वचन और कायकी शुद्धिपूर्वक विधिसहित करना चाहिए । यो तो जिस प्रकार मिश्रीकी डली कोई भी व्यक्ति किसी
१ Reader's Digest, February 1958.