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धन्ना री विरवित रा भाव जाण परिवार रा से जणा वांने भोग कांनी मुड़वा खातर धरणा समझाया पर धन्ना जी किण री वात नी मानी । अवै वांरो मनोवळ घणो मजबूत हो। वी प्रापण निर्णय पर सैठा हा।
सालिभद्र (साला) अर पन्ना (बहनोई) दोन्यू घर सू निकळ'र महावीर कने आया पर श्रमण धरम री दीक्षा अंगीकार करी । दोन्यूं श्रमण तपस्या करता हुया वैभारगिरि पर अनशन व्रत धारण कर काळ धरम पायो।
पांचमो बरसः
राजगृह रो चौमासौ पूरो कर'र महावीर चम्पा पधारिया । अठ पूर्णभद्र जक्षायतन मे विराजिया । प्रभुरै प्रावण रा समाचार सुण अठारा महाराजा दत्त सपरिवार दरसरण खातर पाया । प्रसुरी वाणी सुण राजकुबर महाचन्द्र श्रावक धर्म अंगीकार करियो पर थोड़े समै पाछै राजसी ठाठ ने छोड़'र श्रमण धर्म अंगीकार करियो।
उदायन रो क्षमाभाव :
राजगृह रो चौमासो पूरी कर महावीर चम्पा सू होता हुया वीतभय नगर पधारिया । अठ महाप्रतापी राजा उदायन राज करतो हो । उदायन तापस परम्परा नै मानवा पाळो हो पण उणरी पत्नी राणी प्रभावती (वैसाळी गणराज चेटक री पुत्री) निग्रन्थ धरम नै मानवा पाळी ही । उगरी प्रेरणा सूराजा उदायन भी निग्रन्थ धरम नै मानवा लागो। निग्रन्थ धरम र दया, समता, क्षमा जिसा प्रादसा सू प्रभावित हुयर उदायन पण आपण जीवन में उण प्रादर्सा नै उतारण रो संकल्प करियो।
उदायन रै क्षमा भाव रो एक अनूठो उदाहरण मिले । वी अवन्ती र चण्डप्रद्योत जिसा पराक्रमी साजा नै पराजित कर बंदी