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बगायो। ईसू उदायन री चारुमेर धाक जमगी। उदायन बाहुबळ में इज वीर नी हो वो पातमबळ अर क्षमाभाव में पण घरपो पराक्रमी हो । जद पजूसण परब आयो । वी जेल में जाय बंदी चण्डप्रद्योत सूअापरणे अपराधां री क्षमा मांगी । उदायन नै यूक्षमायाचना करतां देख चण्डप्रद्योत कहयो-म्हतो आपरो कैदी हूँ, अपराधी हूँ, पराधीन हूं। प्रा किसी क्षमा ? किणी ने गुलाम अर पराधीन बणार उपासूक्षमा मांगणी क्षमा नों, क्षमा भाव रो अपमान है। चण्डप्रद्योत रा में सबद उदायन नै चुभग्या । बीरै हिरदै पर अणारो तेज असर हुयो । वी सोचण लाग्या-सांचैई म्हूंचण्ड सूअसली क्षमा नी मांग, क्षमा रो नाटक कर र्यो हूँ । म्ह विजयी हुयर आज अपराधी हूं उणनै बंदी बणार उणसू माफी मांगणी सांचो क्षमा धरम कोनी । यू सोच'र उदायन चण्डप्रद्योत नै कारागार सू मुक्त कर दियो ।
उदायन री इण दया अर क्षमा भाव सू चण्डप्रद्योत धणो राजी हुयो ! इण घटना सूउदायन रै क्षमा भाव अर आध्यात्मिक भावनावां री चरचां सगळी जगां हुवण लागी। भगवान महावीर पण उण री या बात जाणी।
एकदा राजा उदायन पौषधशाला में बैठो-बैठो विचार कर र्यो हो के वी गांव अर नगर धन्य है जठे प्रभु महावीर रा चरण पड़े अर वी लोग धन्य है जै उणारा दरसरण कर बांकी अमरत वाणी सुणै। वो सोचो हो कदाच भगवान महावीर वीतभय नगर पधारै तो म्हूं पण उणा रा दरसण कर आपणो मिनख जमारो सफळ बरणाऊँ।
भगतां रै हिरदा री बात भगवान जाणे । महावीर उदायन रैमन री भावना जाग आपण शिष्य समुदाय सागै वीतभय नगर पधारिया । चम्पा सू वीतभय नगर घरणो अळगो हो । मारग में