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किण चीज री चावना है ? महावीर दासी र सामैं हाथ फैलाय दिया । दासी घरणी भगति पर सरधा भाव सू' प्रभु नै बासी भोजन बैराय दियो । महावीर उस पारणो कियो ।
संगम रो उपसर्ग :
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सानुलट्ठिय सन्निवेस सूं महावीर द्रिढ़भूमि पधारिया । श्रठे पैढाळ बाग रै पोलास नाम रै चैत्य में घ्यानलीन हुया | साधना काळरै इरण दस बरसां में महावीर नै घरगाईं दुख देवरिया अर सरधा राखणिया लोग मिलिया । हरेक रे सागै वरणां रै मन में मैत्री भाव हो । वी नतहमेस सगळा री भलाई चावता | महावीर ₹ इण समभावी आचरण सू इन्द्र घणो प्रभावित हुयो | आपणी देवसभा में वीं प्रभु रैइा तपत्याग री घणी बड़ाई करी ।
महावीर
बड़ाई सुरण सगळा देव राजी हुया परण संगम नाम रो एक ईर्ष्यालु देव महावीर री बड़ाई सहन कोनी कर सक्यो । वो किरोध में प्राय केवा लाग्यो - हाड़-मांस रो पुतलो कद इतरा गुणा बाळोनी हुय सके। हूँ अबार जा'र वीने आपण साधना रे गेला सू' डिगाय देऊला । आ केय' र सगम जठै महावीर ध्यान में लीन ऊभा हा, बठै आयो । प्रा'र महावीर नै उपसर्ग देवरणा सरु कर दिया । वी कुदरत रै सुहावणे सांत वातावरण नै डरावणो बरपाय दियो । धूड भरी श्रधियां चालण लागी । चारू' कांनी डरावणी आवाजां आवरण लागी । प्रभु रो सरीर माटी स भरग्यो । हिसक सू जिनावर वांने काटबा पर नोचबा लाग्या पण महावीर श्रापणी साधना सू कोनी डिगिया ।
संगम महावीर री फैरू परीक्षा लेगो चावतो हो । वीं प्राकस सू रूपाळी अपसरावां उतारी, वां रो संगीत र नाच करायो, भांत भांत रे फुलां री खुसब से वातावरण नै सुगंधित