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मंत्रियां मैं मेहतां रायचन्द, वर्धमान, ग्रासकरण, मूगोत नैणसी, इन्द्रराज मेहता, श्रखैराज, लखमीचंद आदि रो विशेष महत्व है । जयपुर रा जैन दीवाना री लाम्बी परम्परा रयी है । इणां में मुख्य है- मोहनदास संघी, हुकुमचंद, विमलदास छाबड़ा, रामचन्द्र छाबड़ा, कृपाराम पाण्ड्या, मानकचंद गोलेछा, नथमल गोलेछा आदि । अजमेर रा घनराज सिंघवी बड़ा योद्धा हा सगळा वीर मंत्री प्राप प्रभाव सू जैन मंदिरा र उपासरा रो निरमाण करायो । घरगखरी जन कल्याणकारी प्रवृत्तियां र विकास पर संचालक मे भी इरगां रो बड़ो हाथ रयो ।
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देस रे नव निर्माण री सामाजिक, धारमिक, शैक्षणिक, राजनीतिक, प्रार्थिक प्रवृत्तियां में जैन मतावलम्बी महत्त्वपूर्ण योगदान दियो । सम्पन्न जैन श्रावक श्रापणी श्रामदनी रो निश्चित भाग लोकोपकारी प्रवृत्तिया मे खरच करें। जीवदया, पशुवळि निषेध, वृद्धाश्रम विधवाश्रम, जिसी कई प्रवृत्तियां चालै । जरूरतमंद लोगां नै मदद देवगण सारू भी कैई ट्रस्ट काम करें। समाज में अछूत कहाबा शाळा लोगां रे जीवन स्तर ने ऊंचो उठा र वामे फैल्योडी कुरीतियां मिटावरण खातर वीरवाळ ग्रर धरमपाळ जिसी प्रवृत्तियां चाले । लोक शिक्षण र सार्ग नैतिक शिक्षण खातर घरखरी शिक्षण संस्था वां, स्वाध्याय मंडळ पर छात्रावास काम करें। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारणी दिसां में जैन लोगां घरणखरा अस्पताल खोलिया । रोगियां ने मुफ्त में या रियायती दर पर इलाज री सुविधा दी जावे ।
पुराणे साहित्य री रक्षा करण में जैनियां रो महत्वपूर्ण योग दान रह्यो । जैन साधु नी केवळ मौलिक साहित्य री रचना करी वरन् जीर्ण शीर्ण दुरलभ ग्रंथा रो प्रतिलेखन कर वांने नष्ट हुवरण सू बचाया | वांरी प्रेरणा सू ठौड़-ठौड़ ग्रंथ भंडार थरपीजग्या । ग्रंथ भडार राष्ट्र री सांस्कृतिक निधि रा सांचा रक्षक है ।