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महावीर री परम्परा में आज हजारू साधु मुनिराज अर. साध्वियांजी है। में चौमासे में एक ठौड़ रैवे अर शेषकाल गांवगांव पदयात्रा करै। इणां री प्रेरणा अर उपदेसां सू सम-समै नैतिक जागरण आध्यात्मिक साधना अर तप-त्याग रा विविध कार्यक्रम बणै। लोककल्याण री घणखरी प्रवृत्तियां पण चाले । इण भांत व्यक्तिगत जीवन निरमळ, उदार अर पवित्र बरण तथा सामाजिक जीवन मांय मैत्री, बातसल्य, बन्धुत्व जिसा भावां री बढोतरी हुदै।
कुळ मिला'र कयौ जा सकै के महावीर री परम्परा में जीवन रै सर्वागीण विकास कांनी लगोलग ध्यान रैवे। प्रा परम्परा मानव जीवन री सफलता नै इज मुख्य नी मान, इण रोवळ रैवे मिनखपणा री सार्थकता अर मातमसुद्धि पर ।