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१० महाबीर रा सिद्धान्त
भगवान महावीर आज सू ढाई हजार बरस पैलां जै उपदेस दिया वै आज भी तर्क पर विज्ञान री कसौटी पर खरा उतरै है । वांरा सिद्धान्त प्राणिमातर री स्वतत्रता, समानता पुरुषार्थवादिता, वैचारिक उदारता अर मैत्री भाव पर आधारित है। वां में जो सत्य व्यजित है वो किणी एक जुग, काळ अर देश रो कोनो वो सार्वजनीन अर सार्वकाळिक है । जुग जुग तांई वांसू लोगां ने प्रेरणा मिलती रैवेली। उणां रा प्रमुख सिद्धान्त इण भांत है ।
[१] तत्त्व-चिन्तन
जैन धरम साधना रो धरम है। ओ अनादिकाळ सूकलुषित आत्मा रै अशुद्ध रूप नै दूर करर शुद्ध रूप री प्राप्ति रो मारग बतावै । साधक नै संसार र बंधण सू मुक्ति हवरण खातर आत्मा री शुद्ध अर अशुद्ध स्थिति अर उरगर कारणां रो ज्ञान जरूरी है । प्रो ज्ञान तत्त्व ज्ञान कहीजै ।
नौ तत्त्व :
जैन दर्शन में मुख्य तत्त्व नौ मानीज-(१) जीव (२) अजीव (३) पुण्य (४) पाप (५) आस्रव (६) बंध (७) संवर (८) निर्जरा अर (९) मोक्ष । इणांरो परिचय इण भात है - १. जीव तत्त्व :
जीव तत्त्व रो लक्षण उपयोग-चेतना है । जिनमें ज्ञान पर दर्शन रूप उपयोग है, वो जीव है । जीव चेतन पण कहीजै। इण में