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अम्बड़ ऋषि री या वात कठाताई सांची है ? भगवान पडूत्तर दियो- गौतम ! अम्बड़ परिव्राजक बेळे -बेळे री तपस्या करै। उरणरी भावना मूद्ध है। ई कारण ई नै इण भात री लब्धियां प्राप्त है।
महावीर रै आवण री खबर सुण अम्बड़ आपण शिष्यां सागै उरणारा दरसरण करण नै प्रायो। महावीर री धरम देसना सुण वो उणारै ज्ञान अर चारित सूघणो प्रभावित हुयो। सब भात री सक्तियां हुवता थकां भी सरळ परिणामां रै कारण वी महावीर सू श्रावक धरम अंगीकार करियो। पर उरणारो उपासक वणियो।
बीसमो बरस: ___ भगवान वाणिजगांव र दूतिपळास चैत्य में विराजमान हा । वां की धरम देसना सुरणन खातर हजारां मिनख रोजीना पावता। एकदा भगवान पारसनाथ री परम्परा रा गांगेय मुनि भगवान महावीर री धरम सभा मांय पाया। वा भगवान सूजीव, सत, असत आदि रै वार में कई तात्विक सवाल पूछिया। महावीर सू उणारो अाच्छो समाधान पा'र वी धरणा प्रभावित हुया अर महावीर रै घरम संघ मे सम्मिलित हुयग्या।
इक्कीसमो बरस : मदुक रो तत्त्वज्ञान .
भगवान महावीर वैसाळी सू मगध कांनी विहार करता हया राजगृह रै गुणसील चैत्य में ठहरिया। मठ काळोदायी, सैलोदायी आदि परिव्राजका रो आश्रम हो । एकदा भगवान रै पंचास्तिकाय (घरम, अधरम, आकास, जीव अर पुद्गल) सिद्धांत रै विसय पथ परिव्राजक चरचा कररया हा । इणीज वगत भगवान र पारण