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हृदय का रिकभ है', शब्द आदि ममीक्षा मा तथा साहित्यिक, 'माधुर्य' 'पाशा' आदि मनावैज्ञानिक तमा विश्लेषणामक एव 'श्री शकराचाय' और 'गुरु नानक देव आदि विवे चनात्मक निबन्ध किमी अंश तक महत्वपूर्ण है ।
भारतेन्दु-युग ने गद्य-निबन्धो के साथ पद्य-निबन्धों का भी सूत्रपात किया। हरिश्चन्द् ने 'अगरेज राज सुख माज सजे अति भारी' जैसे इतिवृत्तात्मक पद्य तो लिखे परन्तु पद्य निबन्धों की अोर प्रवृत्त न हुए । उनके अनुयायी प्रतापनारायण मिश्र ने 'बुढ़ापा', 'गोरक्षा' 'क्रन्दन आदि की रचना-द्वारा इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया ! भारतेन्दु-युग के उपदेशक, मुधारक और प्रचारक निबन्धकारों की कृतियों में विषय को व्यापकता, शैली की स्वच्छन्दता, व्यक्तित्व की विशिष्टता, भावों की प्रवणता, लक्षणा तथा व्यंजना की मार्मिकता
और भाषा की सजीवता होते हुए भी निबन्ध-कला का सर्वथा अभाव है। ये निबन्ध पत्रिकामों में सर्वसाधारण के लिये लिखित लेखमात्र हैं। उनकी एकमात्र महत्ता उनकी नवीनता में है । भावों और विचारों के ठोसपन और भाषा की सुगठन के अभाव के कारण ये निबन्ध की मान्यकोटि में नहीं आ सकत । ___ भारतेन्दु के हिंदी-नाटक-क्षेत्र मे पदार्पण करने के पूर्व गिरिधर दास ने १८५६ ई० में पहला वास्तविक नाटक 'नहुष' लिखा था । १८६८ ई० मे भारतेन्दु ने चीर कवि-कृत 'विद्या सुन्दर' के बंगला अनुवाद का हिंदी रूपान्तर प्रस्तुत किया। इस युग के निबंधकारों और कहानी लेखकों ने भी अपनी रचनाओं में नाटकीय कथोपकथन का प्रयोग किया था। हरिश्चन्द्र-मैगजीन, में प्रकाशित 'यूरोपीय के प्रति भारतीय के प्रश्न' 'वसत पूजा' आदि मे प्रयुक्त संवाद मनोहर हैं । 'कीर्ति केतु' ( तोताराम ) तातावरण' ( श्री निवासदाम ) आदि नाटक पहले पत्रिकाओं गे ही प्रकाशित हुए थे ।
हिंदी-साहित्य मे दृश्य काव्य का अभाव भारतेन्दु को बहुत स्खला । उन्होंने अपने अनूदित 'पाखड विडंबन' 'धनजय-विजय' 'कपूर-मंजरी' 'मुद्राराक्षम' 'सत्य हरिश्चन्द्र' और 'भारत-जननी' तथा मौलिक 'वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति' 'चन्द्रावली' 'विघरय-विषमौषधम्' 'भारत-दुर्दशा' 'नील-देवी' 'अंधेर-नगरी' प्रेम-जोगिनी' (अपूर्ण) और 'सती-प्रताप' (अपूर्ण) की रचना-द्वारा इम रिक्त भांडार को भरने का प्रयास किया। इन नाटकों मे देश, जाति, समाज, संस्कृति, धर्म, भाषा और साहित्य की तत्कालीन अवस्था के यथार्थ दृश्य उपस्थित किये गये है।
उनीसवीं शती के अन्तिम चरस में मारते को देखा देखी
रों की एक असी