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मा र म ग त नामवरण प्रह नाद चरित्र रणधीर प्रेम मोरिन पार मागिता-स्मययर + लेखक श्री निवास दास साताहरण' कारमणी रण' रामलीला' कसबध' नन्दोत्सव' 'लक्ष्मी सरस्वती-मिलन', 'प्रचंड-गोरक्षण'. 'बाल-विवाह', और 'गोषध-निषेध के रचयिता देवकी नन्दन त्रिपाठी, 'सिन्ध देश की राजकुमारियो', 'गन्नौर की रानी,' 'लव जी का स्वान' और 'बाल-विधवा-सन्ताप' नाटको के निर्माता काशीनाथ खत्री, 'उपाहरण के कर्ता कार्तिक प्रसाद खत्री, 'दुःखिनी-बाला', 'पद्मावती'. 'धर्मालाप' और 'महाराणा प्रताप' के विधायक राधाकृष्ण दास, 'बाल-विवाह' और 'चन्द्रमेन के रचनाकार बालकृष्ण भट्ट, 'ललितानाटिका, ' गोसंकट' और 'भारत सौभाग्य' के लेग्वक अम्बिकादत्त व्यास, 'सुदामा,' 'मती चन्द्रावली. 'अमरसिह राठौर,' 'तन मन धन श्री गोसाई जी के अर्पण और बृढे मुंह मुंहाने' के रचयिता गधाचरण गावामी, 'भारत-सौभाग्य, प्रयाग-राम-गमन' और चारागना रहस्य महानाटक' के निर्माता बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन', 'मंगीतशाकुन्तल'. 'भारत-दुर्दशा' और 'कलि-कौतुक के कर्ता प्रताप नारायण मिश्र, मीराबाई
और नन्दविदा' के विधायक बल्देव प्रसाद मिश्र, विवाह-वेडंबन' के रननाकार तोताराम वर्मा अादि नाटककारी ने बह विषयक नाटको की सृष्टि की। ममाज गजनीति. इतिहास पुराण, मेमाख्यान आदि ममी में कथा वस्तु लेकर इन माहिन्यकारी ने मुक्तहस्त म लेग्वनी चलाई।
नाट्य-कला की दृष्टि में श्रेष्ठ न होते हुए भी उन नाटको का ऐतिहासिक महन्व है । भारतेन्दु ने नाटक, नाटिका, प्रहसन, भाण आदि की रचना तो की परन्तु संस्कृत सपका का अन्धानुकरण नहीं किया। उनके नाटको में प्रान्य और पाश्चात्य नाटक-शेली का मम्मिश्रण हैं । बोलचाल की भाषा का प्रयोग नाटकीय कथोपकथन के सर्वथा अनुकूल है । शैली की दृष्टि मे श्री निवासदाम ने भारतेन्दु का बहुत कुछ अनुगमन किया। भारतेन्दुमइल ने नाटको के अभिनय की भी व्यवस्था की। काशी, प्रयाग कानपुर आदि नगरी में नाटक-मंडलियों की स्थापना हुई।
भारतन्दु और श्रीनिवामदास के उपरात हिन्दी नाटक-पंसार में अंधकार छा गया । भारतेन्दु के पश्चादगामी नाटककार नाट्य-शास्त्र मे अनभिज्ञ थे । हिन्दी का अपना रंगमंच था ही नहीं । पारमी नाटक कम्पनियों का अाकर्पग दिन दिन बढ़ता जा रहा था । ज्ञान-विज्ञान की तीव्र प्रगति और बहुमुरची आन्दोलनों के कारण लेग्वको मे कलाकार की तन्मयता भी श्रमम्भव थी । उपदेश, सुधार, प्रचार और तक की भावना से अभिभूत सेग्बक नार के और भी अयोग्य मिद हुए उन्होंने रंग-47 पर पाटका २ कयोपमधन