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। ११ । की भूमिका म एक पग और आगे बढा दिया इस युग की साहित्य सम्टि भान, एव कल्पना 7 गगन बिहारी रातिकालीन स हि य और जीवन तथा कम म विश्वास करने वाले यथाथ वादी आधुनिक साहित्य के बीच की कड़ी है । इस युग के कवियों ने भक्ति और शृङ्गार परम्परा का पालन करते हुए भी देश-भक्ति, लोक-कल्याण, समाज-सुधार, मातृभापोद्धार आदि का संदेश सुनाया । भारतेन्दु की कवितात्रा में शृङ्गार और स्वदेश-प्रेम, राधाकृष्ण की भक्ति
और टीकाधारी मायावी भक्तों का उपहास, प्राचीनता और नवीनता एक साथ है । इस युग मे व्यक्तिगत प्रेम और सहानुभूति ने बहुत कुछ व्यापक रूप धारण किया । शृङ्गार के अालम्बन नायक-नायिकानों ने स्वदेश, स्वदेशी वस्तु, सामाजिक कुरीतियों, दार्शनिक और ऐतिहानिक अादि विषयों के लिये भी स्थान रिक्त किया । भारतेन्दु की विजयिनी विजय वैजयन्ती ( १८८२ ई.) और प्रतापनारायण मिश्र की "तृप्यन्ताम्" ( १८६१ ई० ) कवितानों मे परतन्त्र भारत की दीनावस्था पर क्षोभ, मिश्र जी की 'लोकोक्तिशतक' (१८८८ ई०), 'श्रावहुमाय' (१८९८ ई.) आदि में देश की विपन्न दशा पर सन्ताप, प्रेमघन की 'मगलाशा या हार्दिक धन्यवाद' मे सुधारक शासकों की कृपा-दृष्टि पर सन्तोष और प्रतापनारायण मिश्र के 'लोकोक्तिशतक' एव बालमुकुन्द गुप्त अादि की रफुट कविताओं में संगठनभावना का व्यक्तीकरण है।
राधाकृष्णदास, प्रतापनारायण मिश्र ('मन की लहर-'सन्१८८५ ई०), नित्यानन्द चौबे ('कलिराज को कथा'-१८६१ ई० , आत्माराम सन्यासो 'नशाखंडन-चालीमा' (१८६६) बालमुकुन्द गुप्त ( स्फुट कविता'-प्रकाशित १६१६ ई०) आदि कवियों ने सामाजिक विषयों पर रचनाएँ की । श्रीधर पाठक का ( ' जगतसचाई-सार" १८८७), माधवदास का "निर्भय अद्वैत सिद्धम्" -( १८६६ ई० ), रामचन्द्र त्रिपाठी का, "विद्या के गुण और मूर्खता के दोष" श्रादि दार्शनिक विषयों पर की गई रचनाएँ हैं । 'दगाबाजी का उद्योग' ( भारतेन्दु ) 'ब्रसल्स की लड़ाई' ( श्री निवास दाम ) आदि की कथावस्तु का अाधार ऐतिहासिक है। 'दामिनी दूतिका' ( राधाचरण गोस्वामी), ‘म्यूनिसिपैलिटी ध्यानम्' ( श्रीधर पाठक-१८८४ ई०), 'लेग की भूतनी' (बालमुकुन्द गुम- १८६७ ई०), 'जनाने पुरुष' (बालमुकुन्द गुम१८६८ ई०) आदि मे कवियों ने नवीन विषयों की ओर ध्यान दिया है । हाग्यरस के आलम्बन, कृपण खाऊ ब्राह्मण आदि न होकर नव शिक्षित, फैशन के दास, रईस, लकीर के फ़कीर अादि हुए है तथा वीर रस के आलम्बन का गुरुतम पद देशप्रेमियों को दिया गया है । इम युग की राजनैतिक. गष्टीय. आर्थिक, धार्मिक. सामाजिक और सास्कृतिक कविताओं में अतीत के प्रति अमिमान के प्राते चोम और भविष्य के प्रति अाशा की