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प्रणाली को और आगे बढाया ' इमी काव्यभूमिका म गोपाल शरण सि. राम नरश त्रिपाठी रामनन्द्र शुक्ल, मुमित्रानन्दन पन्त श्रादि ने श्रालम्बनरूप में प्राकृतिक दृश्या का अर्थग्रहण और बिम्बग्रहण कगया।
१. यथा--
विशुष्क पत्र द्रुम में अनेका, धमे धसे कीचक एक एका। अनन्त जीवान्तक दुःखदाई, दशों दिशा पावक देत लाई ॥
'द्विवेदी काव्यमाला' पृ० ८० । या -- ममाचिरात् सम्भविता समाक्षिः शुचा हृदीनीव विचिन्तयन्ती । उष: प्रकाशप्रतिभामिषेण विभावरी पांडुरतां बभार ।।
'द्विवेदी क
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