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________________ [४] प्रकारसे इसका खूब प्रचार होना चाहिए. इसलिये देर होनानेपर भी हमने तो इस अशग कवि कृत महावीरचरित्र प्रकट करनेके निश्चयको नहीं छोड़ा और कुछ कोशिश करनेपर इन्दौर निवासी ख० ब० दानवीर सेठ कल्याणमलजी साहबने अपनी स्वर्गवासिनी मातेश्वरी श्रीमती फलीवाईके स्मरणार्थ ६१०००) का दान किया था, जिसमें ५००) शास्त्रदानके थे उसमें १००) बढ़वाकर ६००)., करवाये और उसमें से इस महावीर चरित्रको 'दिगंबर जैन के ग्राहकोंको उपहार स्वरूप भेंट देनेके लिए आपने स्वीकारता दी जिससे इस महावीरचरित्र जैसे अपूर्व ग्रन्थको हम उपहार स्वरूप प्रकट कर सके हैं । इसकी २२०० प्रतियां प्रकट की गई हैं जिसमेंसे १९०० भेटमें बटेंगी और ३०० विक्रीके लिए निकाली गई हैं। इस ग्रन्थके मूल श्लोक भी हमने पंडित ग्यूबचंदीमे लिखवाये हैं और उसको भी साथ २ प्रकट करनेका हमाराः । इसदा था परन्तु खर्च बढ़नानेसे हम मूल श्लोक नहीं प्रकट कर सके हैं किन्तु हम इनश्लोकोको अलग प्रकट करनेकी भी कोशिश करेंगे क्योंकि इसके प्रकट होनेकी भी अतीव आवश्यकता है। . ___आजकल हमारे जैनियोंमें दान तो बहुत होते हैं. परन्तु आदर्श दान बहुत ही कम होते हैं । रा० ब० दानवीर सेठ कल्याणमलजीने अपनी पूज्य मातेश्वरी श्रीमती फूलीबाईके स्मरणार्थ ६१०००) का जो दान किया है वह आदर्श. दान है और वह अन्य श्रीमानोंको अनुकरणीय है इसलिए श्रीमती फूलीबाईका
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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