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[५] संक्षिप्त जीवनचरित्र (चित्र सहित) और ६१०००) के दानकी -सूची भी प्रथम दी गई है।
करीब ८ वर्षमे "दिगंबर जैन" के ग्राहकोंको हम करीब ५० पुस्तके भेटमें दे सके हैं परन्तु वे सब बहुत करके गुजरातके भाइयोंकी ही सहायतामे दे सके थे परन्तु इस बार हम हपके साथ प्रकट करने हैं कि ऐसे शास्त्रदानकी ओर अन्य प्रांतांक माइयांका भी ध्यान आकर्षित हुआ है और आशा है कि भवि'प्यमें अब शास्त्रदानके लिए हम विशेष सहायता प्राप्त कर सकेंगे । तथास्तु ।
जनजातिमेवकवीर सं० २४४४) मूलचन्द किसनदास कापड़िया, आवण नदी
प्रकाशक।
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