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________________ लाए फैसल + #++ महावiraftaar - शम्ररी जी यह कम है। -यह विशेष 4-44 Hy सत्र है औ रह है जिसे ओर जा रहे है राह से उसी ओर भाग सब से बड़े बार भी लक्ष्मण - तो हमें भी धनुष उठाना चाहिये शबरी--यह देखिये वा दाई के पहाड़ को फोड़ कर राम घुसता है । शरीर, डुन्डु के का तीर तरत ( परदे के पीछे ) बोने है इलाक ₹ को नहीं grief धोरहि ठाड़े रहे कपिवीर है। लगि तुम्हार राम के हाथन पाइ के मृत्यु को सुनिये कविवर मैं तम मानिये सूर्य के पुत्र युवराज कुमा उत त्रु CULTU औराम STA ᄆ लक्ष्मण देखो इन्द्र का लड़का इस दशा में भी अपने से कैसा सोसा दे रहा है। सेवक सव कशा ने ही लड़ समय छोड़ के गाड़े दुःख में हमारे देख रहे है. भाई भी जख मेघां मरे हुये नेह से उसको निहार रहे हैं समय दिलाने शोध में पड़ा विनोषण भी बंधा हुआ है, बड़े पद और से घाव की पीड़ा का बड़ा रोकना हुआ बले लगने के ब सुग्रीव के गले में सोने के कपनों की झाला डाम रह ( सुग्रीव विभोरा बाली और गम बाते हैं । राम- नासु तौफिक जन्म वीर जगविदित उदारा लत पुण्य तन तेज शैल के समय खा ऐसन है का विवृरिम लिब जोई। बरे व तो सरिस कर जई नहि कोई 1 बाली -- मेवा विमीय देखो! तो भैया भी के गले में कमलों की माला कैसो अच्छी लगती है च h भ
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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