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________________ प्राचीन नारक मणिमाला सरस महाराज दशरथ का डेरा महाराज दशरथ और जनश बैं हैं सुधाजिन और भरत चुला -नये महाराजाज के लय राजमली एकमत हो के श्राप के बिल करने हैं ? पोशाला दामन हारा। कर घोर जो पुत्र गुन्हारा ! अलिजनाथ पासोमा । प्रज' हाय सन पूरनलामा । देश-भाई जनकजी : कहै प्रज्ञा यह करन के निज कल्यान विचार । विश्वामित्र अलि नहि जिन कह राम पियार ॥ जनक ऋषि परम सुजान, सुख पैहैं पुनि काज यह । __जाना वेदविधान, बामदेव मुनि हैं इहाँ ॥ दशा--जो ऐसा ही है तो फिर यह परशुराम के जीतने का उन्लव अभिषेक का भी उरलय हो जाय। (राम और लक्ष्मण आते है ) राम-अव यह क्या हो रहा है। श-नुमंत्र जानी अभिषेक की सामग्री इकट्ठा कशै और जो कोई जो कुछ माँगे उरले जि ना मांगै उतना दो।। राम-(आगे बढ़ के हाथ जोड़ के ) मैं माँगता हूं। दशाय-भैया मा? किस के लिये? राम-कहे जो दुइ पर देन का सो अत्र मंझिली मात । चाहत है, लेहि देइ अब कृपा कीजिये तात॥ दश० --शांचे नित रघुवं नप यहि मैं कौन विचार । तुम जदूत तो प्राण हूँ केहि कहें देत पियार ॥ राम-सया पढी तो। ,
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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