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________________ प्राचीन नाम नणिमाला राज का धाम बखान येह को राज हैं ज्योतिनिध सोस तो करै केहि भाँति को तालु बर लोक प्रधान्य राज दिन यज्ञ करें जब वेद निघाला । ज्ञान कल तो धर्म में जा गुरु हैं दक्षिष्ट मह रसाध्यो सुरपतिरमित तुम्हारा । हसत सातहूँ द्वीप पर तब जब सारा कीर्ति के खंभ जाए भागीरथ सागर कह लाँग करें बखान करत तव भूप गुनागर ॥ feng और विश्वामित्र- यह भी सड़के ने सोखा है। परशु०- मैया राम हमें भी माता दो हम बन की उ विश्वा०-ह भी छुट्टी दीजिये । निमकरसहित उद्धाहा । देखे लरिकल कर बिवाहा । भूगुपतिमदमंजन -! इनना कह कर मूल रहता है ) भृगुपतिविदिततेजश्रीरामहि । सुख सन देखि जात निज धामहि ॥ दश० --- भैया रामचन्द्र तुम्हारे गुरु महात्मा विश्वामि ते हैं। farare (खों में आँसू भर के राम को गले लगा रा भी जो तुम्हें छोड़ने का नहीं चाहता पर क्या करें विज्ञान सन नित प्रति रहत ससे गृहस्थी धर्म । शेकत सकल स्वतन्त्रता अविग्रहकर्म ॥ वलि -बाप का चाना जाना आपही के साधीन है । विश्वा०-- महात्मा जो तुम हम को रोकते हो तो चलो दोनों सिद्धाश्रम की बसें तुम को आगे करके जो हम मधुच्छन्दा को मा बहुत प्रसन्न होगी । afeo -कार आपका इतना भी अधिकार हमारे ऊपर नहीं
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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