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________________ लाई बलभाहि बचि है : अर्पों में अन्न भर के द फिर जो होता है है माल्य:-श्री अभी जहाँ हनने का है। जय और दस लिद और विश्वामित्र वहीतर यह जान लह हो न जानी। हम भी लंका जाते है ! poto-हाय नाता नुस् म दुःख देना बड़ा है। माल्यः -हा खरपन नुहि हनन पापो से सगा हाय बिलीयन हि का केस में सामा! हा भैया साल मन्त्र संकट तारे: हा कैति तय पुन मरे बीते दिन शेर । दोनों बाहर जाते है। चौधा अड : राहला स्थान--जलकपुर-~~-ए बुली जगह, ( राम और परशुरामाने हैं) TR- हाथ जोड़ के सेवत ब्रह्मवादि पद जाके। निधि तप नेम ज्ञान विद्या के साइनिजोर मारि यह खेरी .. उमर नाथ बिना कर जारी য~~~বা মল মা ছিষা ফি ব্ৰান্ধা কি? বাল কী ক্ষপি হল জাৰি ক ? সুম ভfখ কারা? बुद्धि समेत पुरान भी वेद का आन निघान समान अपारा
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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