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मामाचिनिइनस कत्रा सा नाँगी व राहिलेदेत जलमबह बासन Are is पर की वृद्धि पाइतियानि अपनी यह हानी। महै कही जगनाथ किमि राजन मभिमान ।।
तो:-जिसे आपने लनेका लेके परशुराम जी के पास भेजा था वह यह ताइपत्र लाया है !
माल्य:- उठाकर पढ़ना है)
बस्ति लंकाराज्यासाय श्री मालपवान का लीः परशुराम ने महेन्द्र द्वीप से"
शूर्पक--अरे यह तो प्रभु की नाई लिखते हैं।
मालय-पड़ता है। महाराजाधिराज कश्वर का अभि. लन्दन पूर्वक प्रा विदित हो कि हमने दण्डकारस्यावासी तपखिधों को अभर किया है । में हमने सुना है कि विराध दनु आदि कई राक्षस वहाँ फिरते हैं। उनके मना करके इमाग हित मौर, महादेव की प्रीति स्थिर राक्षप