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________________ प १ .tamm 20CT ना 2.जानकार अर्थसाहन दह र शाहि सारे विचार गर्व:- मा. ले र बन के के मिनी में ཨཱས–: -- ་་་་ གླུ་དེད་ ཡབ བ པ ourna དེ དེའུ པ་ } E करि नाम रिा ब्रह्मा न पर बनाई क्यों मान इनानि बिन लिचिरलाई ! यह को हो सकता है, मामाचिनिइनस कत्रा सा नाँगी व राहिलेदेत जलमबह बासन Are is पर की वृद्धि पाइतियानि अपनी यह हानी। महै कही जगनाथ किमि राजन मभिमान ।। तो:-जिसे आपने लनेका लेके परशुराम जी के पास भेजा था वह यह ताइपत्र लाया है ! माल्य:- उठाकर पढ़ना है) बस्ति लंकाराज्यासाय श्री मालपवान का लीः परशुराम ने महेन्द्र द्वीप से" शूर्पक--अरे यह तो प्रभु की नाई लिखते हैं। मालय-पड़ता है। महाराजाधिराज कश्वर का अभि. लन्दन पूर्वक प्रा विदित हो कि हमने दण्डकारस्यावासी तपखिधों को अभर किया है । में हमने सुना है कि विराध दनु आदि कई राक्षस वहाँ फिरते हैं। उनके मना करके इमाग हित मौर, महादेव की प्रीति स्थिर राक्षप
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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