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________________ བའི– ––– པཝ ཨཱ ཨཱ ཡྻ་ ཡི་ མ་ ད བྷེ་ ཡཚེ་ ཀཱ་པེ – ཡེ་ པཱཚུ་ प्रहरू ཏེ་ དེ བྱུང་ སྟེ་ सहित अन । M THAN दिन बन्द ताजे अ मन बहो । से नम देवान्त हूँह महलारे हो । པ# %ལྷོཚེ ་ཁསྶ སངྒྷཡ – ཨཔྤ ཚེའག་ Te: ले लाहिं द लित जाति : र्षन : अरे शूर-जाना की जय हो। बाल्य-माओ बेटी है। कहा जा के यहाँ से का अर्प सोचा है पाया और महर्षि प्रास्त्य ने चन्द्र के पास नंगहा की नमान्नु अनुहा है। पाल्य:--जे बड़े राय के हथियार बार में है महर्षि लेाग रमही को दे रहे है ( लेबके : विग्रह जन हित सदले प्रमाण दृश्यार : ब्रह्मतेज रूह बनवल हो। अमेय अपार शूर्प:--मानुग्द ही तो है तो कौन चिन्ता है। माल्या-वेटो ऐसी बात न कही। लेा ऊपो नरोह यद्यपि तास अद्धत रूप है। सो मनुज किमि सुरवृन्दावत जासुसुजस अनूप सुर मुनिन समलहि शक्ति अद्धत वस्तु साधारन ले वरदानसमय विरचि र हम मन पयो॥
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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