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দীগুখিস? काही जागने देव क्या करैगर !
इन्द्राय:जस्यों बचा रहे हो , देखोनी जागते है हनुमानजी की महिमा मिली के ध्यान में नही असती:
कल्प को जो अरि की वृष्टि नई नहि के कामलाई दीजियेक हिलाम अक्षास के नारन तोरि गिराई वि को आतुरता अनुरूप स वैगजनाय र ऋदि बाद
हाथ में शैल विशाल काहि में मह नई चित्र:- देखके हर्षदेवराज देहिये, देखिये
ज्यों कुमददन ससितेज पावत, लहान सुस्तक लोहनी भवसिन्धुलर इन पावत हान हटन माह इस स्वी लगत सैलवधार तन मह उन लगि यात्रा दोऊ :
संसार वस्नुपूर्वगुन हि भाति जानि स के (दक्खिन की ओर देख कर ) अरे यथा यह पवन है: यह नो इलय के समय हिलते हुये समुद्र के जल की काई राजललेन को बढ़ाता फिर बेशरी पर चढ़ा रहा है। लोच के समय तो धर्मयुद्ध हाले लगा। बड़े बड़े निशाबर जितने सन मिद गथे: रावन और घनाइदोई बच गये। ये देई हैं नो क्या हजार छोटे राक्षन के बराबर हैं। ( फिर ननमय को देख के) यह न
तजियान ज्यों सरकार। ज्यों नाग कन्वुल द्वारा घननद सन ज्या सातु। न्यों रतन उनन्त बाद फिर से नल कुमार । न घरे निज अपार
यह दिव्य औषधि याच परताप करि जनाम (देख के क्या जो जन्दर और राक्षस आगे बढ़े हुऐ थे उन है फिर लड़ाई होने लगी।
संत्रास महि इक ओर राक्षस बाद तीन मारही। इक भोर बानर झपटि नत्र सन शव देह विदारही।