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तत्कालीन परिस्थिति।
इसकी राजधानी राजगृह थी। जैनधर्मके परमश्रद्धालु राजा श्रेणिक । यहां राज्य करते थे। और वर्तमानके उत्तरीय विहार, 'विदेह राज्य था, जिसकी राजधानी मिथिला थी। यह राज्य एक दूसरेसे प्राकृतिकरीत्या विभिन्न थे। गंगा नदी विदेहको मगधसे पृथक करती थी और उसे सदानीर नदी कौशलसे अलंग कर देती थी। इन राज्योंके राजा एक दूसरेके निकटसम्बंधी थे। इस कारण सानन्द राज्य करते थे।
दूसरे प्रकारके प्रजातंत्र राज्य 'गण-राज्य' से विख्यात थे। इनमें मुख्य वैशाली नगरीके चहुंओर रहनेवाले लिच्छावी क्षत्रिय राजा थे। संभवतः इन्हीक गणराज्यमें भगवान महावीरने जन्म धारण किया था। इनका वर्णन हम अगाड़ी देंगे। अन्नमे यह गणराज्य अजातशत्रु. मगधाधिपतिके आधीन होगया था। इसी. राज्यके वर्णनसे उस समयकी उत्कृष्ट प्रजातंत्र प्रणालीका भी दिग्दर्शन हो जायगा। इसके अतिरिक्त मल्ल और शाक्य गणराज्य विशेष उल्लेखनीय थे। इनमे इतनी स्वाधीनता और ऐक्यता थी कि सहसा इन राज्योंपर कोई अधिकार नहीं जमा सका था।
उस समयकी सामाजिक स्थिति भी वर्तमान जैसी जटिल नहीं थी। जाति भेद अवश्य विद्यमान थे। और मुख्य चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र ही थे। परन्तु इतनी संकीर्णता नहीं थी कि अन्यान्य वर्गोसे परहेज रखा जाय। पाणिग्रहण करनेकी अबकी अपेक्षा तब बडी स्वतंत्रता थी । चार वर्णोमे क्षत्रिय लोगोंका सबसे अधिक मान था। उनकी मर्यादा समाजमें खब बढ़ी चढ़ी थी। उनके बाद ब्राह्मण, और ब्राह्मणोके वद वैश्यों