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भगवान महावीर।
(९) .
जैनधर्म और हिन्दूधर्म।
“Yes ! his (Jain's) religion is only true one upon earth, the primitive faith of all mankind."
-Rev. J. A Dabois.' "Discription of the character, manner and custom of the people of Indit and their insti. tutions, religious and civil " नामक पुस्तकके लेखक, मेसोर प्रान्तमें रहे हुए पादरी डुबोई साहव निष्पक्ष सत्य ही कहते हैं कि " हाँ ! अवश्य ही जैनियोंका धर्म ही दुनियांमें सत्य है और वही मनुष्य समाजका प्रारंभिक मत है।"
डुबोई साहबने जो इस प्रकार जैनधर्मका महत्व प्रकट किया, उसको यथार्थ प्रगट करनेके लिए आइए प्राचीनतम मानेनानेवाले धर्म हिन्दूधर्मसे इसकी तुलना करें।
___ पहिले तो स्वयं एक तरहसे हिन्दू धर्मके ग्रन्थ जैन धर्मके संस्थापक श्री ऋषभदेवको नवमा (या आठवां) अवतार मानकर उसकी प्राचीनता वेटोंसे भी पहिलेकी सिद्ध कर देते हैं, क्योंकि वेदोंमें १४ वे वामन अवतारका भी उल्लेख है। इसलिए वामन
अवतारके बाद वेद बने साबित होते हैं। और जैनधर्म नवमें 'अवतार मानेजानेवाले श्री ऋषभदेव द्वारा प्रतिपादित हुआ था। तिसपर मागवतमें साफ लिखा है कि " वह (ऋपमदेव) लोक, वेद, ब्राह्मण और गौ सबके परमगुरु थे और