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भगवान महावीर।
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जो कुछ विचार करें या कहें तो भी हमको संसारी जीवोंके दुःखको बहुत स्पष्टरूपसे जानलेनेके लिए और उस दुःखको शब्दोंमें अपूर्व योग्यतासे चित्रित करने के लिए उसकी अवश्य प्रशंसा करनी पड़ती है।
। (असहमतसंगम पृष्ठ १८७-106) इस प्रकार हम भगवान महावीरके समकालीन विशेषप्रख्यात साधुका और उसके मतका दिग्दर्शन करचुके । हमने देखा कि महावीरखामीका प्रभाव उनके ऊपर भी पड़ा था, और उनका मत भगवान महावीरके धर्मसदृश वैज्ञानिक ढंगका नहीं था।
बुद्धकी मृत्युके पहिले भगवान महावीर निर्वाण प्राप्त कर चुके थे, क्योकि बौद्धग्रन्थोंमे लिखा है कि जब बुद्ध भगवान शाक्य भूमिको जारहे थे, तब उन्होंने देखा कि पावामें नातपुत्त महावीरका निर्वाण होगया है। इसके पश्चात् बुद्धने पुनः अपने धर्मका प्रचार किया था और अजातशत्र आदि राजाओने उनके धर्मको ग्रहण किया था।