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सभी शेर सिर्फ हिरन रूपी फिरंगियों का शिकार करो और राष्ट्र को गुलामी एवं दासता से मुक्ति दिलाओ ।
कवि यहाॅ देशवासियों को आगाह करते हुए कहता है कि हमारी पारम्परिक फूट सबसे बड़ी कमजोरी है और फिरंगियों की ताकत ! वे राष्ट्र के समस्त नागरिकों का आह्वान करते हैं कि जिस दिन हम सभी एक हो जाएं फिर कोई भी विदेशी हमारी भारत माता को हथियाने का विचार भी मन में नहीं ला सकता। कवि के अनुसार एकता ऐसी ढ़ाल है जिसे विखण्डित करने का माद्दा किसी विदेशी में नहीं है। इसी एकता का आह्वान कवि इस आवेगमय कविता के माध्यम से करता है:
"वीर ! - सर्दीरों के सर्दार ! - महाराज !
बहु-जाति, क्यारियों के पुण्य - पत्र - दल-भरे |
आन-बान शान वाले भारत - उद्यान के,
नायक हो, रक्षक हो,
बासंती सुरभि को हृदय से हरकर,
दिगन्त भरने वाला पवन ज्यों ।
वंशज हो - चेतन अमल अंश,
हृदयाधिकारी रविकुल- मणि रघुनाथ के ।""
महाकवि ने यहाँ जयसिंह के व्यक्तित्व व कृतित्व का चित्रण किया है रघुकुल गौरव श्रीराम के माध्यम से भारत के गौरवमयी अतीत का वर्णन है । देशभक्ति की व्यंजना कूट-कूट भरी गयी है कवि जयसिंह ! के माध्यम से देश के पूँजीपतियों बुद्धिजीवियों का आह्वान करता है कि आप राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़े जाओ, जुड़ो ही मत बल्कि हम गरीब एवं अनपढ़ जनता को नेतृत्व
1. महाराज शिवाजी का पत्र : निराला रचनावली भाग एक : पृष्ठ 156
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