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प्रदान करो कवि कहता है कि आप भारत रूपी बगिया के माली एवं स्वामी हो। आप भारत रूपी उद्यान में उसी प्रकार नव-चेतना भरते हैं जिस प्रकार बसन्त-कालीन वायु बासन्ती सौरभ को सारी दिशाओं में भर देती है। आइए! देश की एकता के डोर में बँधकर एक स्वतन्त्र एवं नव-भारत के विकास में एक कड़ी बन जॉए।
अतीत की स्मृति:
कवि निराला के मन में यमुना को देखकर भारतीय संस्कृति से संबधित समस्त अतीत जागृत हो उठता है वे कथाओं का सार लेकर एवं अपने पिछले अनुभवों का सार अपनी कविता 'यमुना के प्रति के माध्यम से जन-आह्वान करता हुआ कहता है कि:
"मुक्त हृदय के सिंहासन पर । किस अतीत के ये सम्राट दीप रहे जिनके मस्तक पर रवि-शशि-तारे-विश्व-विराट? निखिल विश्व की जिज्ञासा-सी, आशा को तू झलक अमन्द। अन्तःपुर की निज शय्या पर
रच रच मृद छन्दों के बन्द।।" प्रकृति के माध्यम से कवि रहस्यानुभूति की अभिव्यक्ति करता हुआ कहता है कि तेरे उन्मुक्त हृदय के इस सिंहासन पर किस विगत् युग के सम्राट विराजमान हैं जिनके मस्तक पर ये सूर्य चन्द्र एवं होर विशाल-विश्व-दीपक की
1. यमुना के प्रति : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ-116
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