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________________ अमर कहलाओगे।" निराला की आस्था का आधार भारतीय जनता की अजेय शूरता है। पारम्परिक भेद-भाव को भुलाकर संगठित रूप से विदेशी शासकों के विरूद्ध मोर्चा जमाने की प्रेरणा है। उपर्युक्त काव्य में देश-प्रेम के प्रति कवि की अर्न्तरात्मा की आवाज बाहर निकल पड़ती है। इसलिए वह अपने प्रबल-प्रतिद्वन्दी जयसिंह से अपने सभी भेद-भाव भुलाकर उसी के माध्यम से जन-जागरण का आह्वान की। आज का समय आपस में लड़ने का नहीं अपुित संगठित होकर फिरंगियों का विरोध करने का है। कवि का कहना है कि हे वीर! मेरे पास आओ मैं तुम्हारा स्वागत करता हूँ और तुमको अपने पास आने के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ जो बहादुर होते हैं वे प्राण त्याग कर भी मातृ-भूमि की रक्षा करेंगे। यानी कवि जन-सहयोग का आह्वान करता है कि आओ हम सभी मिलकर अपनी मातृ-भूमि की रक्षा करने का वचन लें। कवि अपने काव्य-रूपी आवेग को नई दिशा देते हुए कहता है कि हे देशवासियों! यदि तुम शत्रुओं के खून से भारत माता का एक भी दाग धो सकोगे तो अपने देशवाशियों का अटूट स्नेह अपने आप प्राप्त हो जाएगा ऐसा करके तुम तो देवता कहलाओगे और इतिहास में अमर बन जाओगे। अंग्रेजियत में रंगे हुए, अंगरेज भक्तों पर कवि ने तीखी टिप्पणी की है निराला ने ऐसे चापलूसों को राष्ट्र-द्रोही की उपमा से संबोधित करने का प्रयास किया है।वे इन चापलूसों को अपने राष्ट्र का दुर्भाग्य तक की संज्ञा दी है। इस तरह की जन-चेतना वह भी एक काव्य के माध्यम से निराला जैसा उच्च-कोटि का कवि ही कर सकता है। निराला की इस कविता में मुहावरेदार लोक-व्यवहार की भाषा भी द्रष्टव्य है। महाकवि अपने देश के उन गद्दारों को अपने काव्य-मयी व्यंग वाणों से ऐसे भेदते थे मानों जंगल में जिस तरह हिरण या अन्य जंगली जानवरों को देखकर 1. महाराज-शिवाजी का पत्र : उपरा : पृष्ठ - 82
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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