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________________ समकक्ष माने गये हैं। ठोस, द्रव, गैस, ईथर, सुपर ईथर निम्न आणविक और आणविक। 'दान' शीर्षक कविता ने न केवल उपमा बल्कि मानवीकरण पद-मैत्री रूपक आदि का सशक्त उदाहरण है: "बासन्ती की गोद में तरूण सोहता स्वस्थ-मुख बालारूण; चुम्बित, सस्मित, कुंचित, कोमल तरूणियों सदृश किरणें चंचल" सौरभ वसना समीर बहती कानों में प्राणों की कहती; गोमती क्षीण-कटि नटी नवल; नृत्यपर मधुर-आवेश चपल ।।" यहाँ बसन्त-ऋतु सूर्य, पवन, मल्लिका, पलास गोमती आदि समस्त वर्ण-पदार्थों का मानवीकरण किया, भाव तरूणियों सदृश्य में उपमा है। चुम्बित, सस्मित, कुंचित, बन बन उपवन आदि में पद-मैत्री है। यहाँ प्रकृति का वर्णन मानवीकरण की पद्धति पर है शैली में लाक्षणिकता है। ___ काव्य-भाषा का आदर्श स्वरूप वही है जो कवि के वक्तव्य को उत्कृष्ट रूप में अभिव्यक्त कर सके। यह सामान्य भाषा से अधिक व्यापक व्यंजक, विशिष्ठ और परिष्कृत होती है और सदैव विषय एवं भाषा का अनुसरण करती है। विषय यदि महान और असाधारण है तो उसे व्यक्ति करने के लिए भाषा भी उदात्त और असाधारण होगी, निराला का काव्य भाषा की दृष्टि से नये प्रयोगों नये विस्तार और नमोन्मेष का प्रतिनिधि है। उनका भाषा आदर्श संस्कृति के 1. दान : निराला रचनावली भाग एक : पृष्ठ - 307 157
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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