SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इधर-उधर से जोड़े गए गीत में क्या कोई छन्द होता है यह प्रश्न कवि अपने अतीत की स्मृतियों के माध्यम से वर्तमान से करता है, उपरोक्त काव्य में कवि की आत्माभिव्यक्ति स्वयमेव परिलक्षित होती है। वह तात्कालिक व्यवस्था से ऊबकर ‘स्मृति' के माध्यम से वर्तमान को आवाज देता है। प्रश्नालंकार का पुट स्पष्ट है। छायावादी कविता में शक्ति का आह्वान बार-बार किया गया। कारण था तात्कालिक चरमराती व्यवस्था से उबे कवियों का हार मानकर अदृश्य शक्ति पर अटूट विश्वास। तभी तो निराला ने 'राम की शक्ति-पूजा' के माध्यम से हनुमान की माँ अंजना द्वारा भारतीय जनमानस के बौखलाहट का कारण पूछती है? "क्या नहीं कर रहे हो तुम अनर्थ? सोचो मन में; क्या दी आज्ञा ऐसी कुछ रघुन्नदन ने? तुम सेवक हो छोड़कर धर्म कर रहे कार्य क्या असम्भव यह राघव के लिए धार्य?" यहाँ कवि हनुमान के अन्तर्द्वन्द का मानवीकरण करते हुए भारतीय जन-मानस के कष्ट का मार्मिक चित्र खींचा है। हलांकि अभी भी भारतीय जनमानस हिंसा का रास्ता न अपनाकर अहिंसक तरीके से ही अपनी बात कहे। कवि यहाँ माँ अन्जना के माध्यम से हनुमान को समझाता है कि क्या भगवान राम ने तुमको यह अनर्थ करने की अनुमति दी है अर्थात् क्या हिंसा का रास्ता अपनाने की इजाजत भारतीय संस्कृति कभी देगी? कदापि नहीं, यहाँ प्रश्नालंकार का समुचित समावेश द्रष्टव्य है। 1. राम की शक्ति पूजा : निराला रचनावली भाग एक : पृष्ठ : 333 125
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy