SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकवि निराला के यह गीत राष्ट्रीय जन-जागरण के लिए लिखा है। कवि ने माँ सरस्वती के रूप में भारत माता की कल्पना की है, सच तो यह है कि यह गीत प्रार्थना-परक है परन्तु इसमें राष्ट्रीयता का भाव मुखर है देश का प्रत्येक पदार्थ कवि के लिए प्रेरणापद है, यहाँ भारतीय संस्कृति के चिह्न कमल का वर्णन भारतीय संस्कृति के प्रेम का द्योतक हैं। कवि ने बन्दना करता है कि राष्ट्र अन्न-जल से परिपूर्ण हो। यहाँ कवि ने अपने अंतर्मन् में संबोधन अलंकार को पिरोने का एक सफल प्रयास किया है। महाकवि निराला देशवासियों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि हे राष्ट्र के सपूतों भारत माँ तुम्हें पुकार रही है, आवाज दे रही है कि कम से कम एक बार राष्ट्र-निर्माण मे अपना योगदान दो: "जागो फिर एक बार। प्यारे जगाते हुए सब तारे तुम्हें; खड़ी खोलती है द्वार जागो फिर एक बार।" ___ इसमें कवि बताता है कि सकल प्रकृति में जागरण की लहरें तरंगायित हैं। ऐसी स्थिति में भारतवासियों को कर्तव्य से विमुख होकर सोते रहना ठीक नहीं हैं। चूकि यह काव्य 1918 के आसपास का है जब तिलक, और लाला जी जैसे गरमदल के नेताओं का उभार था। यह सम्पूर्ण काव्य राष्ट्र को सम्बोधन कवि निराला निष्क्रिय पड़े भारतीय जन-मानस का आह्वान करते हुए उन्हें राष्ट्र निर्माण में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का मानों निमंत्रण देता है। कवि 1. जागो फिर एक बार (1) : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ – 148 110
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy