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English translation with Jain terms preserved:
690. Kasaya Pahuda Sutta [14 Charitra-moha-upashamana-adhikara 135. The one who performs the internal activity, for those karmas which are bound and experienced, he gives the pradesha-agra (the foremost part) of the bandha-prakriti (bondage-producing nature) in the first state and also in the second state. 136. For those karmas which are neither bound nor experienced, he does not give their pradesha-agra in the sthana (place), but gives it in the states of the vyadhyamana (afflicted) prakriti. 137. For those karmas which are not bound but are experienced, he gives their pradesha-agra in his own pratipatti (attainment) and also in the states of the bandhamana (bound) prakriti which are not being manifested. 138. For those karmas which are neither bound nor experienced, he gives their pradesha-agra in the states of the vyadhyamana prakriti which are not being manifested. 139. In this way, the internal activity is manifested and completed.
140. At the same time, there occurs: (1) the anuparvi-sankrama (successive transformation) of the mohaniya (deluding) karma, (2) the asankrama (non-transformation) of the lobha (greed), (3) the ekatthaniyo-bandha (single-stationed bondage) of the mohaniya, (4) the paramsamaya-upashamaga (complete subsidence for a moment) of the napumsaka-veda (neuter feeling), (5) the udirana (emergence) after the passing of the six avalika (periods), (6) the ekatthaniyo-udaya (single-stationed rise) of the mohaniya, and (7) the sankheyya-varshadwitiya-bandha (bondage for a countable number of years) of the mohaniya. These seven types of karanas (activities) occur in the first moment after the completion of the internal activity.
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, कसाय पाहुड सुत्त [१४ चारित्रमोह-उपशामनाधिकार १३५. अंतरं करमाणम्स जे कम्मंसा बझंति, वेदिज्जंति, तेसिं कम्माणमंतरविदीओ उक्कीरेंतो तासि हिदीणं पदेसग्गं बंधपयडीणं पढमहिदीए च देदि, विदियहिदीए च देदि। १३६. जे कम्मंसा ण बझंति, ण वेदिज्जंति, तेसिमुक्कीरमाणं पदेसग्गं सत्थाणे ण देदि वज्झमाणीणं पयडीणमणुकीरमाणीसु द्विदीसु देदि । १३७. जे कम्मंसा ण वझंति, वेदज्जति च; तेसिमुक्कीरमाणयं पदेसग्गं अप्पप्पणो पडपट्ठिदीए च देदि, बज्झमाणीणं पयडीणमणुकीरमाणीसु च हिदोसु देदि । १३८. जे कम्यंसा ण वमंति, ण वेदिज्जंति, तेसिमुक्कीरमाणं पदेसग्गं वज्झमाणीणं पयडीणमणुक्कीरमाणीसु द्विदीसु देदि । १३९. एदेण कमेण अंतरमुक्कीरमाणमुक्किण्णं ।
१४०. ताधे चेव मोहणीयस्स आणुपुव्धीसंकमो, लोभस्स असंकमो, मोहणीयस्स एगट्ठाणिओ बंधो, णqसय वेदस्स परमसमय-उवसामगो, छसु आवलियासु गदासु उदीरणा, मोहणीयस्स एगट्ठाणिओ उदयो, मोहणीयस्म संखेज्जवस्सद्विदिओ बंधो एदाणि सत्तविधाणि करणाणि अंतरकद पढमसमए होंति । ये सब एक साथ पूर्णताको प्राप्त होते हैं । अन्तरको करनेवाले जीवके जो कांश बँधते हैं
और जो वेदन किये जाते हैं, उन कर्मोंकी अन्तर-सम्बन्धी स्थितियोको उत्कीरण करता हुआ उन स्थितियोके प्रदेशाग्रको बधनेवाली प्रकृतियोकी प्रथमस्थितिमें भी देता है और द्वितीय स्थितिमे भी देता है। जो कांश न बँधते हैं और न उदयको ही प्राप्त होते हैं, उनके उत्कीर्ण किये जानेवाले प्रदेशाग्रको स्वस्थानमे नहीं देता है, किन्तु वध्यमान प्रकृतियोकी उत्कीरण की जानेवाली स्थितियोमे देता है। जो कांश वेधते नहीं हैं, किन्तु वेदन किये जाते है उनके उत्कीरण किये जानेवाले प्रदेशाग्रको अपनी प्रथम स्थितिमें देता है और बध्यमान प्रकृतियोकी उत्कीरण न की जानेवाली स्थितियोमे देता है । जो कर्माश बँधते है, किन्तु वेदन नहीं किये जाते है उनके उत्कीरण किये जानेवाले प्रदेशाग्रको बध्यमान प्रकृतियोकी नहीं उत्कीरण की जानेवाली स्थितियोमे देता है। इस क्रमसे उत्कीरण किया जानेवाला अन्तर उत्कीर्ण किया गया, अर्थात् चरम फालीके निरवशेषरूपसे उत्कीर्ण किये जानेपर अन्तरकरणका कार्य सम्पन्न हो जाता है । इस प्रकार अन्तरकी स्थितियोका सर्व द्रव्य प्रथम और द्वितीय स्थितिमे संक्रमित कर दिया गया ॥१३३-१३९॥
चूर्णिसू०-उसी समय अर्थात् अन्तरकरणके समकाल ही मोहनीयका आनुपूर्वीसंक्रमण (१) लोभका संक्रमण (२) मोहनीयका एकस्थानीय बन्ध (३) नपुंसकवेदका प्रथम समय-उपशामक (४) छह आवलियोके व्यतीत होनेपर उदीरणा (५) मोहनीयका एकस्थानीय उदय (६) और मोहनीयका सख्यात वर्षकी स्थितिवाला वन्ध (७) ये सात प्रकारके करण अन्तर कर चुकनेके पश्चात् प्रथम समयमे प्रारम्भ होते हैं ॥१४०॥
विशेषार्थ-अन्तरकरणके अनन्तर प्रथम समयमे ये सात करण अर्थात् कार्यविशेष एक साथ प्रारम्भ होते हैं । इनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है-मोहनीयकर्मके एक निश्चित