SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 5 ) निरंजना ऐसे सभी व्यक्ति इस कला में निपुण होते हैं । वे कितने हैं, इसका पता मुझे है, तुम्हें नहीं । ( कांति पुनः सारचर्य 1 उसकी ओर ताकती है; कुछ उत्तर नहीं देती। ) संपादक जी से कभी बात की है तुमने इस विषय में ? कांत किसके ? धनियों के निरंजना हाँ. उन्होंने कभी धनियों की प्रशंसा की - भैया की या उनकी या किसी और धनी की ? कांति उन्हें तो धनियों से जैसे चिढ़ है धनी आदमी की हर बात उन्हें बुरी लगती है । नाच रंग सिनेम -नाटक सभा-समाज यहाँ तक कि दावत ज्योनार में भी जाना उन्होंने इसलिए बंद कर दिया है कि वहाँ धनियों का ही जमघट रहता है । निरंजना मेरा भी यही अनुमान था । वे मध्यम श्रेणी के तटस्थ व्यक्ति हैं । ये धनी वर्ग की विशेषताएँ समझ गए हैं ! तुम अभी नहीं जानतीं । कांति मुझे तो कभी अवसर मिला नहीं; तुम्हीं लोगों के यहाँ दो बार बार काम-काज में गयी आधी हूँ, बस ।
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy