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________________ ( ७६ ) विभिन्न वर्गों में विभाजन आज आर्थिक दृष्टि से है। जो धनी हैं. उनका स्वर एक है चाहे वे शिक्षित हों अथवा अपढ़ व्यवसायी। मध्यम वर्ग वालों में जितनों का इनसे किसी तरह का संबध है, वे सभी इनको प्रशंसा करते हैं। शेष तटस्थ रहते हैं । और और निम्न वग तो धनियों को अपना पोषक ही समझता है। कांति तुम्हारे भैया तो ..। निरंजना हाँ, भैया भी धनी हैं और इसलिए विलासी हैं जैसे सभी धनियों का प्राण विलास विहार में ही बपता है। नारी उनके लिए विलास का सर्वश्रेष्ठ साधन है। - कांति (किंचित भयभीत होकर ) क्या कहती हो बहन ! तुम्हारे पति · । निरंजना ( ठठाकर हँसती हुई ) मेरे पति भी धनी वर्ग के ही हैं और और जान रखो कि भैया से उनकी पटती भी खूब है । कांति मैंने तो उन्हें दो-तीन बार देखा है ; वे तो बेचारे बड़े सीधे... ...।
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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