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________________ ( ६४ ) [ कांति का वाएँ द्वार से प्रवेश । कांति " राजीव की पत्नी । लगभग पचीस वर्ष की अवस्था । गोरा रंग नाक-नकस सुन्दर, पर आवश्यकता से कुछ अधिक स्थूल जिससे शारीरिक आकर्षण कुछ कम हो जाता है । मुख पर लाल बिंदी खिलती है; माँग भरे । बढ़िया इकलाई की धोती पहने है; रेशमी जंपर । पैर में चप्पल जैसे कहीं जाने को तैयार हो । ] शची ( कांति की ओर देखकर ) कहाँ जाती हो माता जी ! हम भी चलेंगे। कांति तू रहने दे आज ; फिर ले चलूँगी । [ राजीव एक बार उसकी ओर देखकर कलम उठा लेता है और लिखने लगता है, पर कलम आगे नहीं चलती। दो-चार शब्द काटकर कनखियों से पत्नी की ओर देखता है । ] 1 शची ( कांति के समीप जाकर ) नहीं माता जी ! मुझे भी ले चलो. अपने साथ | 3 कांति ( किंचित कठोरता से ) कर दिया, एक बार, आज मत चल । ( कुछ रुक कर, राजीव की ओर देखते हुए जैसे उसे ही सुनाना
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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