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________________ ( ६३ ) [ बाएँ हाथ में पंखा लेकर झलने लगता है । शची उसकी ओर देखती हुई उठती है। सुराही से गिलास भरकर देती है । राजीव पानी पीता हुआ उसकी ओर देखता है। ] शची ( धीरे से ) पिता जी ! राजीव ( गिलास उसकी ओर बढ़ाकर ) क्या है बेटी ! [शची कुछ कहती नहीं। गिलास सुराही से धोकर उसे ढक देती है और लौट कर अपनी चौकी के पास खड़ी हो जाती है। ] राजीव ( मुस्कराते हुए ) क्या बात है शची ? शची (सकुचाते हुए धीमे स्वर में ) माता जी को आप............वे रोती क्यों रहती हैं। राजीव ( चौंककर परंतु किंचित उदासीनता से ) मैं तो किसी को भी नहीं रुलाता बेटी ! ( मुस्कराता हुआ ) तुम्हीं को देखो......कितना प्यार करता हूँ मैं ! माता जी तेरी रोज मारती हैं तुझे ; ( हँसकर ) बता, कभी मारा है......मैंने ? शची (ध्यान से सुनती हुई ) वे नाराज क्यों रहती हैं आपसे, मुझसे, सबसे ?
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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