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________________ राकेश (किताब खोल कर एक तसवीर दिखाता हुआ) यह देखो हैं राम जी । यही सबको रुपए देते हैं। [ सतीश और शीला बड़े ध्यान से तसवोर देखते हैं। राकेश उनकी दृष्टि बचाकर गन्ने वाले की तरफ देखता है । गन्नेवाला धीरे-धीरे जाने लगता है। जाते-जाते अावाज देता है-रस गन्ने का। शीला और सतीश दोनों चौंक पड़ते हैं । ] सतीश रहते कहाँ हैं ये ? राकेश ( ऊपर उँगली उठाकर ) बादल में, आसमान में रहते हैं। [ शीला और सतीश ऊपर देखने लगते हैं। जब छत के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई देता तो दोनों फिर तसवार देखने लगते हैं । ] सतीश (तसवीर पर ही दृष्टि गड़ाए हुए ) बादल में रहते हैं राम जी! ( राकेश की ओर देखकर ) हवाई जहाज पर जा सकते हैं उनके पास हम ? राकेश राम जी किसी से मिलते नहीं। उनसे जो कोई कुछ माँगता है दे देते हैं।
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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