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सतीश बूढ़ा चला गया ; अबकी आयगा तो मैं भी खिलौने लँगा।।
शाला
शीला मैं भी बड़ी सी गुड़िया लूँगी।
[ एक फलवाला आता है। संतरे, केले, ककड़ी, कसेरू, सभी कुछ उसके पास है। सुधा उसकी आवाज सुनकर दौड़ती हुई आती है। सुधा
आठ-नौ वर्ष की बालिका जो हरो की छोटी बहन है। धनी की कन्या होने के कारण लाड़-प्यार से पली है। रंग साँवला है, नाक-नकस मोटा और अनाकर्षक रेशमी फिराक के ऊपर महीन धोती पहने है। स्वभाव से लड़ाका, चिड़चिड़ी और हठीलो है।]
सुधा केलेवाले ! ओ केलेवाले ! एक केला दे दे। कितने ता है ?
फलवाला (केला देकर ) दों पैसे का विटिया।
सुधा (इकन्नी फेंककर ) दो पैसे की ककड़ी भी दे।