SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४४ ) । फलवाला दो छोटी छोटी ककड़ियाँ देता है। हरी दो केले, दो संतरे और चार ककड़ियाँ उठा लेता है और दाम देता है तब बह को चिढ़ाता हुश्रा खाने लगता है। और भी दो-एक लड़के फल लेते हैं । ] सुधा मुझे भी संतरा दे! ( सीगा दिखाकर ) ले सींगा। तूने एक केला लिया, मैंने दो ; तूने दो ककड़ी लीं. मैंने चार। और दो संतरे घाते में। (जल्दी जल्दी खाता और मुँह चिढ़ाता है। फिर संतरे का छिलका उसकी तरफ फेंककर ) ले संतरा! । सुधा रोती हुई घर चली जाती है। हरी उसी तरह खाता रहता है।] सतीश सतरे बड़े मीठे और रसदार होते हैं। उनसे ताकत आती है। शीला हाँ, तभी बाबू जी संतरा रोज खाते हैं। सतीश मुझे तो एक फाँक रोज देते हैं
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy