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राजीव
कहीं से आ गये।
कांति
तुम्हें कसम है, सब बताओ।
राजीव कुछ किताबें बेच दी और बाकी रुपए उधार कर दिये।
कांति ( चौंककर ) ऐं ! उधार लिये तुमने ?
राजीव ( हँसता हुआ ) ऊँह, दो-तीन लेख लिम्व दूंगा। श्रद हो जायेंगे सब दाम । कौन बड़ी बात है। (साड़ी उठाकर ) पहन लो इसे एक बार। देखू, कैसी लगती है ! बहुत दिन से रेशम साड़ी पहने नहीं देखा है तुमको।
कांति नहीं, इसे फेर देना आज ही।
राजीव यह कैसा होगा ?
कांत यही करना, मेरी बात मानो। ( सरलता से ) मैं अब खहर की साड़ी ही पहनूंगी।