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________________ प्रमेयधोतिका टीका प्रति. २ निविधप्रतिपत्तिनिरूपणम् ३७३ अथ कास्ताः ज्योतिष्कदेवस्त्रियः ? ज्योतिष्कदेवस्त्रीणां कियन्तो मेदा इति प्रश्नः उत्तरयति-'जोइसियदेवित्थीओ पंचविहाओ पन्नत्ताओ' ज्योतिष्कदेवस्त्रियः पञ्चविधाः-पञ्चप्रकारकाः प्रज्ञप्ताःकथिता. प्रकारभेदमेव दर्शयति-'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा 'चंदविमाणजोइसिय देविस्थीओ' चन्द्रविमानज्योतिष्कदेवस्त्रियः 'सर०' सूर्यविमानज्योतिष्कदेवस्त्रियः 'गह.' ग्रहविमानज्योतिष्कदेवस्त्रियः 'नक्खत्त०' नक्षत्रविमानज्योतिकदेवस्त्रियः, 'ताराविमाणजोइसियदेवित्थीओ' ताराविमानज्योतिष्कदेवस्त्रियः, तथा च चन्द्रसूर्यग्रहनक्षत्रताराविमान स्त्री भेदात् पञ्चप्रकारका ज्योतिष्कदेवस्त्रियो भवन्तीति भाव । 'से तं जोइसियदेवित्थीओ' ता एता. पञ्चप्रकारा ज्योतिष्कदेवस्त्रियो निरूपिता इति । 'से किं तं वेमाणियदेविथीयो' अथ कास्ता वैमानिकदेवस्त्रियः, वैमानिकदेवस्त्रीणां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः उत्तरयति 'वेमाणियदेवित्थीओ दुविहा पन्नत्ता' वैमानिकदेवस्त्रियो द्विविधा -द्विप्रकारकाः प्रज्ञप्ता' कथिता ज्योतिष्क देव स्त्रियां कितने प्रकार की होता है ? हे गौतम | "जोइसियदेवित्थीओ पंचविहाओ" ज्योतिष्कदेवस्त्रियां पांच प्रकार की कही गई है-क्योकि ज्योतिष्क देव पांच प्रकार के होते हैं। इनकी स्त्रियो के नाम इस प्रकार से हैं-"चंदविमाणजोइसियदेवित्थिीओ" चन्द्र विमान ज्योतिष्क देवस्त्रियां, "सूर" सूर्य विमानज्योतिष्कदेवस्त्रियां "यह." ग्रह विमान ज्योतिष्क देवस्त्रियां "नक्खत्त० नक्षत्र विमानज्योतिष्क देवस्त्रिया "ताराविमाणजोइसिय देवित्थीओ" तारा विमान ज्योतिष्क देवस्त्रियां तथा-चन्द्र,सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारा विमान के भेद से ज्योतिष्क देव पांच प्रकार के होते हैं ---अतः इनकी स्त्रियां भी पाँच प्रकार की कही गय हैं 'सेत्तं जोइसियदेवित्थीओ' इस प्रकार से ये ज्योलिक देवस्त्रिया निरूपित हुई । “से कि तं वेमाणियदेविस्थीओ" हे भदन्त ! वैमानिक देव स्त्रियां कितने प्रकार की होती है ? हे गौतम "वेमाणियदेवित्थीओ दुविहा पन्नत्ता" वैमानिक देवत्रियां दो प्रकार की होती हैं। अडसी छे १ "गोयमा! जोइसियदेविस्थीओ पंचविहाओ पन्नत्ताओ" ज्योति वानी लियो પાચ પ્રકારની કહી છે કેમકે જ્યોતિષ્ક દેવો પાંચ પ્રકારના છે તેમની સ્ત્રિના નામે આ प्रमाणे छ- "चदविमाणजोइसियदेवित्थीओ" य द्रविमान याति हेवनी खिया "सूर०" सूर्य विमान न्योति हेवनी खियो, “गह०" विमान ज्योति हेवनी खियो "नक्लत्त" नक्षत्र विमान याति हेक्नी लियो "ताराविमाणजोइसियदेविस्थीओ" तास विमान જ્યોતિષ્ક દેવની સ્ત્રિ આ પ્રમાણે ચંદ્ર, સૂર્ય, ગ્રહ, નક્ષત્ર અને તારાવિમાનના ભેદથી તિષ્ક દેવ પાંચ પ્રકારના થાય છે તેથી તેઓની સ્ત્રિયો પણ પાંચ પ્રકારની કહી છે. “से से जोइसियदेवित्थीओ" २प्रमाणे ज्योति हेवोनी लियोनु नि३५९ ४२८ छ "से कि त वेमाणियदेवित्थीओ" सपन वैमानि वोनी स्त्रियो टदा १२नी ही छ ? "गोयमा । वेमाणियदेवित्थीओ दुविहा पण्णत्ता" गौतम ! वैमानि वानी
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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